तलाश !!!


समुन्दर को ढूँढने निकले थे
उन अनजान राहों पर
जहाँ पर ना कश्ती थी और ना कारवां
सिर्फ उन क़दमो के ज़रिये
दिशाओं को समझना था
आशाओं के विपरीत
हवाओं के साथ चलना था 
उन इक्के दुक्केआवासियो से
उस जल स्रोत का पता लगाना था /

धीरे धीरे ऐसा प्रतीत हुआ

वो गीले रेत का टीला
कहीं आस पास ही था 
वो लहरों का कलकल
कहीं आस पास ही था
उन पंछियों का दिलकश मंज़र
कहीं आस पास ही था /

कुछ लम्हों के पश्चात्

हम उस सागर के किनारे थे
उन आँखों से महसूस किया तो
हम लहरों के हवाले थे
क़दमो को देखा तो
गीले रेत पे निशान बने थे
आसमान को देखा तो
सूरज मद्धम हो पड़ा था
वो लालिमा भरा दृश्य
कहीं ज़मीन पे विस्तृत पड़ा था
उस परछाई को देखा तो
लगा कोई अपना सा ही था /

अभी उस अनुभूति से कितने दूर हैं हम

समय से आगे नहीं बढ़ सके हम
केवल यादों को लिए बढ़ चलें हम
एक नए आकाश और कुछ नई लहरों के सहारे
फिर से एक नए सफ़र पे चल लेंगे हम
फिर से कुछ तलाश कर लेंगे हम  /

-Till we meet on a voyage

Rajesh Banerjee ©

Comments