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आज़ादी- नानी की ज़ुबानी

आज़ादी ... नानी  की  ज़ुबानी सीखी  हमने  अधीनता  नहीं ग़ुलामी  से  स्वाधीनता  भली गर्व  से  आज़ादी अपनी यह  कहानी  सुनाती  है  नानी तीस  दशक  चली  थी  त्रासदी कहीं  कोड़े  तो  कही  गोली सोने  की  चिड़िया  कहे  जाने  वाले  देश  में   कपड़े  तक  नहीं  थे  जिनकी  झोली उनका  ग़ुस्सा  जायज़  था , ज़ुबान  बंद  होके  रह  जाती  उनकी क्यूँकि अंग्रेज़ों  का  बलवान  राज  था हिम्मत  कर अवाम  ने  कुछ  करने  की  ठानी ऐसा  ही  कुछ  बताती  है  नानी गर्म  ख़ून  वालों  की  खुली  थी  छतरी जब  युवाओं  ने  मचाया  शोर एक  एक  कर अंग्रेज़ों  के  शासन  में जगह  जगह  किया  तोड़ फोड़ फिर  ...